अछूत

अछूत

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क्या हुआ अम्मा जी? आप ये चादर क्यों हटा रही हैं, आज सुबह ही धुली हुई चादर बिछाई थी। तभी परबतिया एक बाल्टी पानी और झाड़ू लेकर आई और कमरे को धो कर कर चली गई।

अरे बहू एक दूसरी चादर लाकर बिछा दे, फिर बताती हूं - अम्मा जी ने कहा।

रमा ने दूसरी चादर बिछा दी, अब तो बताइए अम्मा - रमा ने कहा।

"ननकू का बेटा मेरे कमरे में घुस आया था और उसकी गेंद मेरे पलंग पर आ गिरी इसलिए कमरे की सफाई कर इसे शुद्ध करवाया। तुम लोगों से हजार बार कहा की काम करने वाले के बच्चों को घर के आसपास मत खेलने दो, ऊपर से ये अछूत है "।

"कुछ महीने बाद अम्मा जी को एक भयानक बीमारी ने जकड़ लिया, सारे बदन में घाव हो गया। रमा ने तो महेश से कह दिया मैं अम्मा के कमरे में नहीं जाउंगी कल से परबतिया ही उनका सारा काम करेगी"।

"दूसरे दिन परबतिया ने साफ मना कर दिया, मैं नहीं जाउंगी अम्मा के कमरे में, मुझे घिन आती है। दो दिन हो गये कमरे की सफाई किए हुए, कोई तैयार नहीं हो रहा था अम्मा की सेवा करने के लिए। कमरा बदबू से भर गया था, बात ननकू के कान तक पहुंची तो वह दौड़ा चला आता"।

"महेश बाबू हम अम्मा जी की सेवा करना चाहते हैं, वो तो हमारे लिए भगवान के समान है, हमें पुण्य ही मिलेगा"।(महेश जानता था की अम्मा इस अछूत से कोई सेवा नहीं लेगी मगर उसने हां कर दिया)

"दूसरे दिन ननकू अम्मा जी के कमरे में जाकर मल - मूत्र को साफ कर, पूरे कमरे की सफाई की। जो कमरा बदबूदार था अब वो फिनाइल की खुशबू से भर गया। आज अम्मा जी को सारे रिश्तों की असलियत पता चल गई थी, आंखों में आँसू भरे एकटक ननकू को देखे जा रही थी"।

"आज उन्हें अहसास हुआ की वास्तव में अछूत कौन है"।


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