Vimla Jain

Inspirational

4.5  

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अच्छी वाली आंटी

अच्छी वाली आंटी

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रीना और रवि ट्रांसफर होकर दिल्ली आए ।वहां उन्होंने एक मकान किराए पर लिया, और मकान में रहने लगे।दूसरे तीसरे दिन मकान मालकिन रीना के वहां आई ,उसने देखा कि घर बहुत गंदा पड़ा था ,और रीना आराम से सोफे पर पसर कर टीवी देख रही थी। उनको अचानक आया देख रीना अपनी जगह से उठी ,और मकान मालकिन को आते देख बोली ,आइए आंटी बैठिए ।और अपने पास सोफे के ऊपर जगह करके उनको बिठाया ।वहां से वह आंटी पूरे घर का मुआयना करने लगी।

फिर उन्होंने बोला, तुम से पहले जो जिया रहने आई थी, वह घर बहुत अच्छा रखती थी। बहुत साफ सुथरा रखती थी। तुमने आज सफाई नहीं करी क्या?रीना को उनका पूछना अच्छा नहीं लगा ।उसमे अनमने भाव से बोला मैं थक गई थी। अभी मैंने कुछ नहीं कराहै आप बेठिये मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूं। फिर मैं सफाई करूंगी ।थोड़ी देर बाद में उसकी मकान मालकिन उठ कर चली गई ।

मगर उसको विचार करते छोड़ गई ।उसके कान में रह रह कर उसकी आंटी की बात गूंज रही थी, कि जिया घर बहुत अच्छा रखती थी। उसके मन में थोड़ा ईर्ष्या भाव भी आया अनजानी जिया के प्रति। रीना शादी के तुरंत बाद अपने पति के साथ दिल्ली आ गई थी ।शादी से पहले उसने इतना कुछ काम किया नहीं था। ज्यादातर घरों में जैसा होता है, माए बच्चों से काम नहीं करवाती है। वैसा ही उसके घर भी एसा ही था । वो आराम पसंद थीऔर काम करने में थोड़ी आलसी भी थी। उसको इतना बुरा लग गया आंटी की बात का ,उसने सोचा अब मैं घर को थोड़ा साफ रखूंगी। दूसरे दिन से अपने घर को बहुत घिस घिस के साफ करने लगी और अच्छी तरह रखने लगी ।

2 दिन बाद में वापस उसकी मकान मालकिन आई ,तो उन्होंने देखा घर तो बहुत साफ है ।मगर रीना घर साफ करने के चक्कर में उसके खुद के कपड़े इतने गंदे हो गए हैं, उसके बाल इतने उलझे हुए हैं, वह बिल्कुल अव्यवस्थित दिख रही थी रीना ।रीना उनकी नजरों में अपने लिए प्रशंसा देखना चाहती थी। जब वह कुछ नहीं बोली तो रीना ने पूछा आज तो घर साफ है। तब उसकी आंटी ने कहा हां घर तो साफ है ।मगर वह जो जिया थी वह घर साफ करने के साथ-साथ खुद भी बहुत अच्छी व्यवस्थित टिपटॉप रहती थी।

उसके बाद वह चली गई वापस रीना को विचार तो छोड़ गई। रीना सोचने लगी ,मैंने इतनी मेहनत करी ,और इतना घर साफ रखने लगी हू तो भी यह आंटी तो ऐसा ही बोलती हैं। उसको उस अनजान जिया से बहुत ज्यादा ईर्ष्या हो रही थी। दूसरे दिन वह नहा धोकर एकदम साफ होकर, जल्दी-जल्दी उसने घर भी अच्छा साफ किया ,और खुद भी टिपटॉप हुई। उसको खुद को भी अपने आप को और घर को देख कर अच्छा लग रहा था। 

उसने सोचा आज तो आंटी मेरी पूरी तारीफ करेंगे, उनको फोन करा कि, आप घर पर आओ। उसकी आंटी घर आए वह बोली ,आज आप मेरे साथ खाना खाओगे।

 उसकी आंटी मान गई, और उन्होंने उसके साथ खाना खाया ।फिर खाना खाने के बाद में जाते-जाते बोली, तुमने घर तो अच्छा साफ करा , तुम भी अच्छी लग रही हो ,खाना भी अच्छा ही बनाया मगर उतना अच्छा नहीं है जितना कि जिया बनाती थी। बहुत अच्छी-अच्छी चीजें बनाती, ,और बड़े प्यार से सबको खिलाती थी। उसका खाना बड़ा लजीज होता था। तुम्हारे खाने में वह बात नहीं है।

आज तो रीना को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आया आंटी पर भी गुस्सा आया, और उस अनजान जिया पर भी कि मैं कितना ही कर लूं आंटी तो हमेशा उसी को एकदम परफेक्ट बताती हैं ।मेरा तो कोई नाम ही नहीं लेते। ऐसे करते-करते महीना बीत गया। एक दिन उसकी मकान मालकिन आंटी ने पार्टी रखी । वह बोली रीना तुम दोनों हमारे घर आना आज।

 मैंने जिया को भी बुलाया है , रीना को लगा मैं पार्टी में जरूर जाऊंगी ।और जिया को देखूंगी की कौन सी बला का नाम है जिया। जो इतनी परफेक्ट है।

मकान मालकिन आंटी उसकी बहुत तारीफ करते हैं ।जब पार्टी में वह जिया से मिली उसने जया से कहा, आपने आंटी पर बहुत अच्छी छाप छोड़ रखी है ।आप अपने काम में बहुत पर्फेक्ट है आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं ।बहुत साफ सफाई रखती हैं। और बहुत चीजों में होशियार है।

 तो जया बोलती हैं , मैं इतनी होशियार कहां हूं, जितनी की रेखा होशियार थी ।रेखा बहुत अच्छा खाना बनाती थी ,पढ़ाई में परफेक्ट थी। घर भी बहुत अच्छा जमा कर रखती थी ।मैं कहां इतनी होशियार हूं ।

रीना ने कहा आप मिली हो रेखा से। जिया बोली नहीं मैं नहीं मिली ,मुझे तो आंटी बता रही थी, कि मेरे से पहले यहां रेखा रहती थी ,वह इतनी होशियार थी।

 फिर वह रीना को समझ में आया और साथ में जिया को भी समझ में आया कि ,उसकी वह आंटी उनके अंदर अच्छा काम करने का जज्बा पैदा करने के लिए दूसरे से उनका कंपैरिजन करके उनको होशियार बना रही थी। वैसे ही वह बोलती तो काम नहीं करती, नहीं सीखते इसलिए उन्होंने कंपैरिजन वाला तरीका अपनाया। उनको अपनी आंटी पर बहुत प्यार आया । दोनों बहुत प्यार करने लगी। और थैंक्स दिया उनको कि आप के कारण हम आज इतने परफेक्ट हो गए हैं। अच्छी लाइफ जी रहे हैं अच्छी वाली आंटी। और उन्होंने उनका नाम रख दिया अच्छी वाली आंटी। सच है छोटा सा कंपैरिजन कितना कुछ सिखा गया। कभी-कभी छोटी छोटी बातें भी दिल को इतनी लग जाती है इंसान अपने आप को सुधारने लगता है जीवन में उतारने लगता है।



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