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Praveen Gola

Drama

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Praveen Gola

Drama

अभिशाप

अभिशाप

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कल रास्ते में वो मुझे फिर मिल गया। पता नहीं क्यूँ मैं उसका चेहरा भूल ही नहीं पाती हूँ। पिछले दस सालों में वह कितना बदल गया था। उसके चेहरे पर अब झुर्रियां साफ दिखाई देने लगीं थीं। कपड़े भी अब और ज्यादा फटे - पुराने पहनने लगा था। उसे देखते ही मेरे मुँह से हमेशा यही निकलता, "इसे तो और ज्यादा भिखारी बन जाना चाहिए। मेरे पैसे नहीं दिये थे ना इसने। "

आज से दस साल पहले उसने मुझसे सौ रूपये उधार लिए थे जिसमे से अस्सी रूपये उसने बड़ी ही मुश्किल से वापस किये। पैसे उसके पास तब थे पर उसकी देने की नीयत नहीं थी। मेरे बीस रूपये आज भी उसके पास शेष हैं।

बीस रूपये .... जिनकी अब कोई खास कीमत नहीं रही पर मेरे लिए वो बीस रूपये उसका चेहरा देखते ही एक अभिशाप बन जाते हैं। वो भी बेशर्मों की तरह हर बार मुझसे नज़रें मिलाकर निकल जाता है। अब मैंने उससे पैसे मांगना छोड़ जो दिया है।


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