अब मैंने उससे पैसे मांगना छोड़ जो दिया है। अब मैंने उससे पैसे मांगना छोड़ जो दिया है।
उसका स्वाद सा आ गया बस वो समय याद करके। उसका स्वाद सा आ गया बस वो समय याद करके।
झट से कहती आचार्य जी लोग आये हैं क्या झट से कहती आचार्य जी लोग आये हैं क्या
,तब हम अपने नाना के यहां गर्मियों की छुट्टी मे जाकर रईस हो जाते। ,तब हम अपने नाना के यहां गर्मियों की छुट्टी मे जाकर रईस हो जाते।
वो अस्सी साल की आंखें आज भी बेहद खूबसूरत लग रही थी। वो अस्सी साल की आंखें आज भी बेहद खूबसूरत लग रही थी।