The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
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पुनीत श्रीवास्तव

Others

4.5  

पुनीत श्रीवास्तव

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स्पाईडरमैन

स्पाईडरमैन

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अस्सी के दशक में जब टी वी ब्लैक एंड व्हाइट वाला रईसी की निशानी थी ,तब हम अपने नाना के यहां गर्मियों की छुट्टी मे जाकर रईस हो जाते ,वैसे और भी वजहें थी मस्ती की ,खुला मेरठ यूनिवर्सिटी का कैम्पस ,घूमना फिरना विडियोगेम वगैरह पर टी वी सबसे ऊपर था ,लकड़ी के शटर वाला ,गोल चकरी से शुरू होता दूरदर्शन का लोगो,गुमशुदा लोगो की जानकारी कृषिदर्शन ,सब ही देख जाते ,जाने क्या समझ आता था !!!!फिर रात के खाने के समय हिंदी वाले समाचार शम्मी नारंग ,सलमा सुल्तान वगैरह की आवाज़ में शम्मी जी आखिर में पेन कोट की जेब मे रख लेते सलमा जी बिना फूल लगाए नहीं आतीं इस लिए ये दोनों ही अब तक याद हैं ।खाने के बाद कैम्पस मे टहलते हुए अंग्रेजी वाले समाचार की टीम की आवाज घरों से सुनाई देती....  थोड़ी धीरे धीरे

ये सब उस दौर के जन्मे सब जानते हैं कहानी मे ट्विस्ट स्पाइडरमैन के टी वी पर आने से आया ,एक इतवार की प्रोग्राम बना दिल्ली जाने का ,नाना मम्मी और हम तीनों भाइयो का ,नाना दिल्ली मे मामा लोगों से मिल के हमें दिल्ली घुमाने की योजना में थे सब को ठीक लगा पर हमकोस्पाइडरमैन हाथ से जाता नज़र आया ,इंसान जीये भले जिस दौर मे खुद को चाचा चौधरी ही समझता है !!! कैसे भी बहाना बना के रुक गए नानी के साथ मेरठ ही !!सब सुबह ही निकले ,हम भी शाम के स्पाइडरमैन के इंतज़ार मे पल पल काटना शुरू किये....थोडा इधर थोडा उधर ,थोड़ी बालकनी थोडा छत खाना थोडा सोना थोडा ,कैसे कैसे पांच बजा , साढ़े पाँच पर आता था मेरा स्पाइडरमैन

और ...बिजली गुल !!!!!

ऐसा नहीं कि गालियाँ तब नहीं आती जब हम दूसरी तीसरी में होते हैं सब ही दे दिए होंगे हम भी !!

इस सारे घटना की एक गवाह हमारी नानी !!सात साढ़े सात बिजली आ गई!नौ दस बजे तक नाना और बाकी लोग भी !!भाइयो के पास कनाटप्लेस, पालिका बाजार के सामान और खिलौने !

बात शुरू यहाँ ये हुआ वहाँ ये ,दिल को जो सवाल अंदर तक बेध गया वो स्पाईडरमैन से जुड़ा था,किसी ने बताया भाइयों में से , आज स्पाइडरमैन बड़ा अच्छा आया था हमलोग नाना के एक परिचित के घर थे शाम पांच से छै !!!!!

तुम देखे थे न ????

हम क्या ही बोलते तो चुुुप ही रहे पर हमारी और नानी की नज़रें मिली । नानी ने हकीकत तुरन्त बता दी सबको ,,यहाँ लाइट कहाँ थी शाम को !!!


कितने तरह के ठहाके कमरे में गूँजे थे आज भी याद है ,साथ ही वो ट्यून स्पाईडरमैन स्पाईडरमैन।


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