इधर उधर से !
इधर उधर से !


बस बातें इधर उधर से याद आती हैं
कुछ चीजें ऐसे ही अचानक,
जैसे कल पेपर हो इम्तेहान का कुछ तैयार न हो
काम छुट्टियों में जो मिला आधा अधूरा सा हो
नज़रें मिली भर, दिल दिमाग मे बहुत कुछ हो
दोस्तों से मिल पाउँगा छुट्टी के बाद हॉस्टल में
घर की मेज छोटी लगे मेस की बड़की मेज से
नए कॉलेज में जा के दसवीं का इम्तेहान देना
पांच का अलार्म लगा साढ़े तीन पर जग जाना
रोल नम्बर मिला के देखना पेपर में कि पास हुए
हाई स्कूल या इंटर में
पांच में साढ़े तीन जबाब आने पे भी कॉपी भर देना
कभी भी इम्तेहान में
मिलना दिल खोल के दोस्तों से
उतने ही बैठे दिल से जुदा होना
बैग बिस्तरबंद ले के हास्टलों से,
हँसना खाना पीना साथ मजाकों पर लड़ जाना
किसी से किसी का नाम जोड़ के चिढ़ाना
खुद भी चिढ़ जाना कभी कभार
दोस्ती यारी दूर होते सम्बन्धों को
बस एक छोटे से मैसेज से भी जोड़ जाना
बस ऐसे ही तो आती हैं बातें कुछ चीजें कुछ
बेसमय बस यूं ही कुछ बातें।