वी सी आर !
वी सी आर !
बहुतों के समझ से दूर इस पीढ़ी के,एक वी सी आर होता था जिसमें वीडियो कैसेट लगता था फिल्मों काजैसे आज फ़िल्म आती है न मोबाईल पर वैसे आता था टी वी पर,जिनके घर होता था न वी सी आर वो लोग बड़े आदमी होते थे । आज तो घर भर का नेट कनेक्शन होता है सैकडों फिल्में मोबाईल पर ,किराए पर वी सी आर और कैसेट कितना कीमती था का जानो तुम सब!!एक वी सी आर की बुकिंग चंद कैसेटों के साथ
दूध का कर्ज
लोहा
धर्मेंद्र की एक
मिथुन की एक
जैकी श्राफ वाली एक
अन्याय से लड़ते हीरो ,पर असल माहौल बनता उनके घर जिनके यहां वी सी आर थे ,ऐंठ में थोड़ी नही बड़ी वाली ऐंठ में!इंजॉय करते अपना बड़प्पन ,बड़े आदमियत सिर्फ वी सी आर से
मेले में खलनायक फ़िल्म वी सी आर पर पूरी भीड़ ,बस स्टेशन या नाज रेडियो वाले फिरोज भाई के यहाँ ,हम लोग कभी किराए पर ले आते , ये ही भजन गाते बीच मे बिजली जाने पर
हे भगवान बिजली ले आ दे !!
क्योंकि बिजली आती जाती रहती थी बस अचानक याद आया वी सी आर
बडे दिन बाद ।