पुनीत श्रीवास्तव

Others

3.7  

पुनीत श्रीवास्तव

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गली मोहल्ले!

गली मोहल्ले!

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कस्बों और मोहल्लों में छोटे बच्चे पल बढ़ जाते हैं अपने मां बाप के अलावा मोहल्ले के लोगों के घरों में खेल के, कूद के, खाते -पीते और सो के भी! नब्बे के दशक में हमारे मोहल्ले में ऐसे ही दो बच्चों को हम जानते हैं पहली तो गेसू, सीमा दीदी की बेटी, बगल में हम लोग का घर दूसरी तरफ सोनू का घर अंशु दीदी के घर मिक्की के साथ दिन भर घूमती फिरती गोदी से गोदी, दौड़ती भागती, कथा से कहानी, खाना कहीं सोना कहीं। मोहल्ले में भी सीमा दीदी की ही शादी पहले हुई, गेसू भी पहली छोटी सी बेटी मोहल्ले के लिए, पूरा मोहल्ले मामा मौसी नाना नाना गली ही ननिहाल, हम लोग भी कॉलेज में थे तब, चंदन मामा इनको बड़े पसंद, चंदन मामा को बच्चे ! ढेरों कहानियां चंदन मामा के पा ! रोज आती कहानियां सुनती चार साढ़े चार साल की होगी तब शायद, किसी दिन चंदन मामा गायब विकल्प बचे हम, ज़िद करने लगी मामा कहानी सुनाओ पहले तो हम टाले पर बाल हठ क्या होता है तब पता चला हमको भी, कुछ नही सूझा तो सामने पड़ा अख़बार देखकर उसी की हेडलाइन पढ़कर सुनाने लगे तब की खबरें जो भी थी, दिल्ली में सरकार पर विपक्ष का दबाव, यू पी की बिजली की समस्या ... थोड़ी देर तक तो चेहरा देखती रह फिर बोली... 

भक!!!! ये कोई कहानी है !!!!

और भाग गई !!!

इस समय गेसू मुंबई में पढ़ाई लिखाई करने के बाद कहीं नौकरी करती हैं अच्छी बात ये है कि हम दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं सोशल मीडिया से !!!

दूसरी है मिली, अतुल भईया की बेटी जो पी ओ थे स्टेट बैंक में और उदयभान दुबे चाचा जी के यहां किराएदार, मिली के बचपन का बड़ा हिस्सा इसी मोहल्ले में, हमारे घर सोनू के घर और भी लोगों के यहाँ आते जाते खाते पीते सोते बीत गया ! उसके हिसाब से घरों के नाम भी थे, 

ई नानी का घर ..उ नानी का घर !

भईया भाभी भी पूरी तरह निश्चिंत रहते, मिली कहीं भी होंगी भूखे पेट नहीं होंगी, कभी-कभी तो सुबह का आया शाम को जाती, यही खाती पीती सो जाती

अभी मिली मुंबई में है अपनी पढ़ाई में मगन!!!

बड़े शहरों में ये व्यवस्था व्यवसायिक है कहीं छोड़िए पैसा दीजिए तब बच्चे संभालते हैं यहां छोटी जगहों पर यह सिर्फ प्यार और अपनेपन से हो जाता है ये इतना जटिल काम छोटे बच्चों को संभालने का !!!

मिली और गेसू को समर्पित ये मेरी तरफ से 

ख़ूब बढ़ो, खूब ख़ुश रहो !!!



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