वॉकमैन !
वॉकमैन !


टहलता आदमी नही ,एक पूरा का पूरा गाने सुनने की मशीन था वॉकमैन ! गाना बजता था ,कैसेट वाला इसमें
गाना सुनते वॉक भी कर सकते थे चाहे तो नही तो कैसे भी सुनते ये वॉकमैन ही कहलाता, ईयर फोन कानों में
बैटरी से चलता सो बिना बिजली भी संगीत ए साइड फिर बी साइड कैसेट की
फिर दुबारा ए साइड बजने को होता तो बैटरी का दम फूलता गाने थोड़े स्लो में बाद में तो अटक के रुक ही जाते
कोई सस्ता शौक नही था उस दौर का ये बात है नब्बे के दशक की।
बैटरी कैसेट का खर्चा भी ठीक ठाक
एच एम वी के कैसेट 55 से 60
तक के फिक्स
टिप्स टी सीरीज़ के थोड़े कम के ही सही पर दोनों साइड मिला के आठ दस से ज्यादे तो कोई भी न दे पाता
एक बीच का रास्ता गाने कैसेट से लोड करने का भी निकल पड़ा
पर गाने एक या दो रुपये
पर क्वालिटी रद्दी का रद्दी
कुमार शानू अलका याग्निक साधना
सरगम नदीम श्रवण आनन्द मिलिंद लक्ष्मीकांत प्यारेलाल बप्पी दा
गीत संगीत
टेप रिकॉर्डर के बाद
वॉकमैन ,नब्बे के दशक का नया अविष्कार
ए साइड फिर बी साइड
फिर ए .... और बैटरी की जाती जान के साथ !