Goga K

Abstract

4.3  

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वो खूबसूरत आंखें

वो खूबसूरत आंखें

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"दादी मां जल्दी आओ", ज़ोर से कहा था छोटी सी अनिका ने ।बुला रही थी वो सबके साथ एक फोटो खिंचवाने के लिए।


"ये दादी को सुनता ही नही है । पता नही उन्होंने कान की मशीन लगाई है कि नही ? जा अनिका थोड़ा जोर से पास जाकर बोल जल्दी आने के लिए" अनिका के पापा ने कहा ।


पर दादी कहां सुनने वाली थी । उन्होंने कभी किसी की नही सुनी थी अपने जीवन में ।वो तो बस आराम से शीशे के सामने बैठ कर अपने बालों में कंघी कर रही थी । तभी छोटी सी अनिका आई दौड़ते हुए और पूरा हिला दिया दादी को । कहा । "दादी जल्दी चलो फोटो खींचनी है । फोटोग्राफर इंतज़ार कर रहा है" ।


"उसी के लिए तो कंघी कर रही हूं । तेरे पापा को लगता है की मुझे कुछ सुनाई नहीं देता । पर मैं सब सुन लेती हूं। मुझे पता है कि फोटोग्राफर आया है, मेरी तस्वीर हमेशा खूबसूरत ही आनी चाहिए"।


उधर अनिका के पापा थोड़े बेचैन हो रहे थे और मन में सोच रहे थे कि इस उम्र में भी सबसे ज्यादा समय लेती है मम्मी । पर दादी को कहां किसी बात से फर्क पड़ रहा था । वो तो सिर्फ काम की बातों को ठीक से सुनती थी और बाकी बातों के लिए उनके कान ऊंचा सुनते थे । सब परेशान हो रहे थे और कब से तैयार होकर दादी का इंतजार कर रहे थे । 


आखिर दादी आ ही गई तैयार होकर और तस्वीर खिंच गई। दादी ने हर तस्वीर पूरे अंदाज से खिंचवाई । जैसा उन्होंने पूरी उम्र भर किया था ।तस्वीर में उम्र का तकाज़ा तो बाकी घर वालों पर दिख रहा था। वो अस्सी साल की आंखें आज भी बेहद खूबसूरत लग रही थी और तस्वीर में सबसे सुंदर बस दादी ही लग रही थी । 


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