डर
डर


एक दिन मेरे बगीचे में मुझे एक छोटी सी चिड़िया दिखाई दी। मैं उसकी तस्वीर लेना चाहता था। पर जैसे ही मैं उसके पास गया। वो घबरा कर उड़ गई।
और थोड़ी दूर एक पेड़ की डाल पर जाकर बैठ गई। मैं थोड़ा परेशान हुआ कि मैं तो उसे कुछ भी नुकसान पहुंचाने वाला नहीं था। थोड़ी देर बाद वो फिर दिखी मेरे बगीचे के पास। मैंने फिर से उसके नज़दीक जाने की कोशिश करी। अब वहां कोई पेड़ नहीं था। वो उड़ कर एक छोटे से पौधे की डाल पर बैठ गई। वो डाल इतनी मजबूत नहीं थी पर, फिर भी उसने चिड़िया को गिरने नहीं दिया।।
मेरे से ज़्यादा चिड़िया को उस पौधे पर विश्वास था। जाने क्या था जो उसे मुझ से डरा रहा था। जाने क्यूँ उसे लग रहा था कि मैं पास आकर उसे छूने की कोशिश करूँगा। और फिर ना जाने क्या क्या एक डर तो था, एक सच्चा डर ।।