आत्मनिर्भर भारत: अगामी लिंग, जाति और जातीय पक्षपात
आत्मनिर्भर भारत: अगामी लिंग, जाति और जातीय पक्षपात


भारत की आज़ादी के 73 साल पूरे हो गए है परंतु आज भी भारत पक्षपात का शिकार हैं जबकी भारत के सविधान में अनुच्छेद 15 में स्पष्ट कहा गया है कि राज्य अपने किसी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, लिंग, नस्ल और जन्म के स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। पक्षपात कोई आम समस्या नहीं है यह एक ऐसी समस्या है जिसे जड़ से खत्म करना आवश्यक है। यह हमारे समाज में बिमारी की तरह फैला हुआ है, एक बार किसी को हो गया तो सबको फैल जाएगा!
भारत, की आज़ादी के समस पक्षपात बहुत बड़ा विवादी मुद्दा था क्योंकि उस समय लोगों के पास पहनने को कपड़े नहीं, खाने को रोटी नहीं थी और रोज़गार और नहीं था। इन सब समस्याओं के बीच था पक्षपात, अमीर-गरीब, गोरे-काले, ऊँची - नीची जाति और लड़का-लड़की में भेदभाव। अमीर किसी गरीब को देखता नहीं। जातिवाद में परछाई तक नही पड़ने देते थे। लड़कियाँ रसोई सम्भालेंगी और लड़के आमदनी लाएँगे। कन्या भ्रूण हत्या में कई मासूम लड़कियों को जन्म से पहले कोख में मार दिया गया। यह सब सिर्फ़ इसलिए क्योंकि लड़कियों को पिलाना एक बोझ है। लड़कियों की शादी का खर्च करना होगा और दहेज देना होगा पर लड़का पेैसा कमा सकेगा और अच्छा दहेज मिलेगा।
नई पीढ़ी के साथ एक भारत की शुरुआत हुई । आज की पीढ़ी पढ़ी-लिखी है और सही-गलत का फ़र्क समझती हैं। आज की पीढ़ी पढ़ी-लिखी होने के कारण पक्षपात पढ़े-लिखे तरीके से करती है। जैसे की आरक्षण, मर्दों को औरतों से ज्यादा वेतन, कार्यस्थल पर उत्पीड़न इत्याधदे | अगर औरत आदमी से ज्यादा ऊँचा उठ जाएं तो मर्दों को जलन होती है, गुस्सा आता है और कुंठा होती है जिसकी वजह से आजकल औरतों के खिलाफ काफी ज्यादा जुर्म दर बढ़ गया है। 65% मर्दों का मानना है कि औरतों को हिंसा सहन कर लेना चाहिए । राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हर तीन मिनट में एक औरत के साथ कुछ गलत होता है। किरन बेदी , अरुंधती रॉए जैसी औरतों ने औरतों की ऐसी परेशानियों को समझा और इस बारे में खुल कर बात करी।
आरक्षण - आज का जातिवाद। इस आरक्षण की वजह से कई सामान्य वर्गों के व्यक्तियों को कम लाभ होता है पिछड़ा वर्ग, अतिपिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों को ज़्यादा फायदे मिलते हैं । बिचौलिये सारा पैसा खा जाते थे जिसकी वजह से यह जातियों उठ नहीं पाई। कई जगह महिला आरक्षण भी है। आरक्षण की वजह से समानय वर्ग के विद्यार्थीर्यों में कुंठा बढ़ रही है जिसकी वजह से दंगा- फसाद और विरोध बढ़ रहा है जो आपराधिक गतिविधियों के बढ़ने का कारण भी है । अगर हस समानता की बात करते हैं तो हाथों हर तरह का आरक्षण हटा देना चाहिए।
समानता हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। लड़की के लिए गुलाबी रंगा और लड़के के लिए नीला रंग जरूरी नहीं है। अगर हम चाहें तो हम यह सब रोक सकते हैं। माता-पिता को बच्चों के लिए समानता का वातावरण बनाना चाहिए। हम बच्चों को जन्म से समानता सिखाएँ और एक नये भारत का निर्माण करें।
जय हिंद जय भारत ।