आने वाला पल जाने वाला है
आने वाला पल जाने वाला है
आज रविवार का दिन था और रविवार का मतलब घर के कामों में श्रीमती जी का हाथ बंटाना और समय निकाल कर दोस्तों के साथ गपशप मारना। अक्सर यही दिनचर्या होता है कामकाजी मिडिल क्लास सोसाइटी में रहने वालों का।
मैं भी सारे रविवार के काम निपटा कर अपने घनिष्ट मित्र राकेश के यहां पहुंचा। राकेश अपने साप्ताहिक बागवानी में लगा हुआ था।
"आ बैठ"
मुझे देख कर उसने पास पड़े एक कुर्सी की तरफ इशारा किया, मैं पास पहुंच कर उस कुर्सी पर बैठ गया। तब भी राकेश अपने बागवानी का काम कर रहा था और साथ ही साथ मुझसे बातें भी कर रहा था। चर्चा चल ही रही थी कि इस करोना महामारी में कौन परिचित गुजर गया, कौन दोस्त गुजर गया या कौन अपना रिश्तेदार नहीं रहा।
तभी राकेश के मोबाइल पर रिंग टोन बजने लगा
"आने वाला पल जानेवाला है
हो सके तो इसमें जिंदगी बितादो
पल ये जो जानेवाला है"
सुनकर लगा इस गाने की यथार्थता को महसूस करने का इस महामारी से उचित समय नहीं हो सकता। आज हालत ऐसी है कि कल क्या होगा किसी को नहीं पता, कौन इस जिंदगी की राह पर आगे बढ़ेगा कौन बिछड़ेगा कोई नहीं जानता।
किसी भी दोस्त, रिश्तेदार को फोन करो तो उसके तरफ से दो चार नाम जरूर सुनने में आते कि वो सीरियस है, वेंटिलेटर पर है या हम को छोड़ चुका है।
कभी कोई मोबाइल कि घंटी बजती है तो एक अनजान सा भय मन के किसी कोने में करवटें लेने लगता, नहीं मालूम क्या खबर सुनने को मिले।
कल ही राकेश ने बताया था कि उसकी भाभी जो भोपाल में रहती हैं उनकी हालत करोना के चलते नाजुक बनी हुई है और वो वेंटिलेटर पर है। हालांकि राकेश का अपने भैया भाभी से सम्बन्ध टूट कर कई साल बीत गए थे और उनके साथ राकेश का बातचीत भी बन्द था पर उसके भतीजे से कभी कभी अवश्य बातचीत हो जाती थी।
राकेश की आदत है कि वो अपने सभी रिश्तेदारों के लिए अलग अलग रिंग टोन असाइन कर रखा था।
अचानक मैं अपने विचारों से झटके के साथ बाहर निकला क्योंकि ये जो रिंग टोन मैंने सुना वो राकेश के भतीजे का था। फिर मन में एक भय व जिज्ञासा जागने लगी कि राकेश कि भाभी का क्या समाचार होगा।
"मीनू मम्मी को जल्दी बुला"
राकेश बदहवास हालत में अपनी बेटी को आवाज दी। उतने में राकेश की पत्नी नीता घबराए हुए राकेश के तरफ दौड़ी
राकेश के मोबाइल पर एक वीडियो कॉल आया हुआ था जिसमें एक महिला हाथ जोड़ कर क्षमा याचना कर रही थी। मेरी भी जिज्ञासा बढ़ी और मैं अपने कुर्सी से उठकर राकेश के तरफ दौड़ा।
नीतू मैंने और मेरे परिवार ने तुम लोगों को बहुत सताया है और अपने अहम के चलते कभी भी तुमको समझने की कोशिश नहीं की।
दीदी ये समय नहीं है इन सब बातों का पहले आप ठीक हो कर घर अा जाओ फिर सब ठीक हो जाएगा, नीतू बोली
नहीं, लगता है कि मेरा अंतिम समय अा गया है और यही सही समय है प्रायश्चित करने का, मुझे अपने मन के बोझ को उतार लेने दो ताकि मैं चैन से जा सकूं। मैंने कई बार अपने कर्मों के लिए तुमसे क्षमा मांगना चाहा पर हमेशा मेरा अहम आड़े आ गया और मैं क्षमा नहीं मांग सकी।
फिर अचानक वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट हो गया और फिर वही रिंग टोन बजने लगा
'आने वाला पल जानेवाला है
हो सके तो इसमें जिंदगी बितादो
पल ये जो जानेवाला है'