Priti Khandelwal

Inspirational

2  

Priti Khandelwal

Inspirational

आजादी विचारो की

आजादी विचारो की

4 mins
97


रिया की नई नई शादी हुई थी....और हर दिन उसकी यही कोशिश रहती कि कैसे वो सबका मन जीत ले...कैसे सबको खुश रखे। 


पर कहते है ना ससुराल की डगर आसान नहीं होती... यूं तो सब ठीक ही था ससुराल में पर खोखले रिवाज और बेड़ियां बहुत थी....इसके उलट रिया का परिवार बिल्कुल विपरीत था...उसके यहां सब खुले विचारों के थे....रिया की मा ने कभी रिया ओर उसकी भाभी में भेद नहीं किया...पढ़ने लिखने से लेकर हर बात में सबकी राय ली जाती थी। 


पर यह तो रिया कुछ भी कर ले... कोई ना कोई कमी रह ही जाती थी। सोने - जागने से लेकर बैठने - उठने, चलने, हंसने - बोलने,पहनने सबकी पाबंदियां थी रिया पर...फिर भी रिया सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रही थी...रिया का मानना था कि जब सबके मन मिलते हैं तो विचार भी मिलने लगते हैं। पर आज तो हद ही हो गई.....शाम को रिया मनोज (रिया के पति) को खाना खिलाने के बाद रिया ने खुदकी और ननद कि भी प्लेट लगाई...और वहीं डाइनिंग पर खाना खाने लग गई। इतने मे ही रिया के ससुर ने कमरे से उसको डाइनिंग पर खाना खाते हुए देखा और भड़क गए...


"ये कोई तरीके है.....मां- बाप ने कुछ भी नहीं सिखाया...बड़ों का कुछ लिहाज या आदर सम्मान है कि नहीं...?"

रिया एकदम से साड़ी का पल्ला संभालते हुए उठ खड़ी हुई....तभी आवाजें सुनकर रिया की सास और मनोज भी हॉल में आ गए। 

देख लो तुम्हारी बहू को..... अभी से ये लक्षण हैं....ससुर का कोई लिहाज नहीं...इतने भी संस्कार नहीं के बडो का सम्मान करे...आगे जाकर पता नहीं क्या करेगी.....रिया के ससुर ने अपनी पत्नी को बोला....और गुस्से में वहां से चले गए। 


रिया अभी समझ नहीं पा रही थी कि उसने ऐसी क्या गलती कर दी जो पिताजी इतना गुस्सा हो गए...इतने में रिया की सास बोल उठी..."देखो रिया आज जो तुमने किया है ना वो दोबारा नहीं होना चाहिए"

"पर मम्मीजी मैने किया क्या हैं ये भी तो बताइए"...रिया रोते हुए बोली

हमारे यहां बहुएं ससुर जेठ के सामने ऊपर नहीं बैठती है...और तुम अपने ससुर के सामने ऊपर टेबल पर खाना खा रही हो। पर मम्मीजी मैं और दीदी साथ में ही खाना खा रहे थे...तो सबका खाना यही डाइनिंग पर लगा लिया...और सबने यही खा लिया....सुबकते हुए रिया ने कहा। 


वो इस घर कि बेटी हैं...रिया की सास ने तुनकते हुए कहा...बात तुम्हारी हो रही है...आज के बाद ये गलती दोबारा ना हो...और चली गई....रिया के आंसू रुक नहीं रहे थे.....सोच रही थी दुनिया कहा से कहा पहुंच गई...और यहां डायनिंग पर खाना खाने कि आजादी नहीं बहू को। 

....पूरा परिवार डाइनिंग पर खाना खाता है...बस एक बहू को ही नीचे बैठकर खाना खाना चाहिए....क्यूं...... क्योंकि वो एक बहू हैं....


भला उसके डाइनिंग पर खाना खाने से ससुरजी का अपमान कैसे हो गया...?..... अगर उसका पल्लू सर से नीचे खिसक गया तो बडो की इज्जत कैसे कम हो गई......?उसके संस्कारो पर ही उंगली उठा दी गई....आखिर क्यों...?

देश तो कब का आजाद हो गया...पर ससुराल वालो की बहुओं को लेकर इस संकीर्ण मानसिकता से कब आजादी मिलेगी..आज भी महिलाओ का एक बड़ा तबका छोटी छोटी बुनियादी आज़ादी के लिए तरस रहा है।

पर मैं ये सब नहीं सहुंगी....सम्मान दिल से किया जाता...शर्म आँखो में होती....इस तरह तो लोग आजकल नौकरों से भी बर्ताव नहीं करते...वो तो उस घर की बहू है.....


सबका सम्मान करूंगी...पर खुद का अपमान सहन नहीं करूंगी.....इस घर कि बहू होने के नाते मै भी इस घर कि इतनी ही सदस्य हूं जितने की घर के बाकी के लोग...सारे ऐसे खोखले मापदंड बस बहू के लिए ही क्यों..?

मन में कुछ निश्चय करते हुए रिया चल दी अपने सास ससुर के कमरे कि ओर अपने अस्तित्व की आजादी पाने के लिए....


दोस्तों ये सिर्फ कहानी नहीं है...ये आज भी 80 प्रतिशत घरों की सच्चाई है...बहू के नाम पर सारी बेड़ियां ओर मर्यादा मढ़ दी जाती है...क्यूं उससे उसकी व्यक्तिगत आजादी भी छीन ली जाती...क्यूं उसको बाकी के सदस्यों के जैसे प्यार और सम्मान नहीं मिल पाता.....



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational