ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
सर्द आहों से हुई यख़बस्त ज़िंदगी,
ख़ुशियों से भरपूर मदमस्त जिंदगी!
कब लाऊँ ग़म, कब लाऊँ ख़ुशियाँ,
जल्दी में कर रही बंदोबस्त ज़िंदगी!
ज़िंदगी में ही आते है उतार-चढ़ाव,
हो रही है देखो, बड़ी पस्त ज़िन्दगी!
बड़े-बड़े बसने न दिए ज़िन्दगी ने कि,
है बड़ी ही वीरान और दश्त ज़िन्दगी!
हर किसी की होती है यही तमन्ना कि,
सुक़ून से जिए ये एक मुश्त ज़िन्दगी!
जैसी भी है ये मगर है बड़ी पसंद मुझे,
है बड़ी दिलचस्प और मस्त ज़िन्दगी!
