ज़िन्दगी की दौड़
ज़िन्दगी की दौड़


ज़िन्दगी की दौड़ अजीब सा खेल है
हार और जीत का अजीब सा मेल है ।
भागती है कभी तो कभी थम जाती है
ना जाने कैसी दुनिया की रेलमपेल है । ।
किसी के सपनों में ऊँची उड़ानें हैं
किसी के अपनों में सिमटे ज़माने हैं।
कोई पैसा चाहे, कोई चाहे प्यार
यहाँ पर सभी के अपने पैमानें हैं । ।
कोई इस जहाँ में मस्ती से झूमे
किसी की ख्वाहिश आसमां को चूमे ।
जितने हैं चेहरे उतने ही तराने हैं
बदलती है तस्वीर ज्यूँ ही वो घूमें । ।
है कोई यहाँ पर बड़ा एक खिलाड़ी
है कोई जहां की अदा से अनाड़ी ।
मगर ज़िन्दगी सबकी चलती यहाँ पर
कभी एक अगाड़ी कभी एक पिछाड़ी । ।