ज़िन्दगी खुल के जियो
ज़िन्दगी खुल के जियो
ज़िन्दगी जीने में तो
छोटी लगती है,
ज़िन्दगी काटनी पड़े तो,
बहुत लम्बी हो जाती है,
तभी तो कहतें हैं
ज़िन्दगी खुल के जियो,
बाँटों सबको खुशियाँ,
हर गम मिलकर सियो,
खुशियों पर बदनुमा दाग
सी है शिकायतें,
क्यों चोट पहुँचाती
तुमको सच्ची हिदायतें,
माफ़ी मांगने से कभी
कोई छोटा नहीं होता,
जाने भी दो कुछ बातों को,
छुटपुट गलतियों में
फासला जायज नहीं होता,
उम्मीद भी ना बाँधो इतनी
क़ि पछ्तावा हो,
ना खुद ही करो किसी से,
ना बदले में तुमसे छलावा हो !