यूँ ना खेला करो
यूँ ना खेला करो
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से,
ज़िन्दगी थक गयी ऐसे हालात से।
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे,
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से।
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम,
हो गई आशनाई हमें रात से।
गा रहा था ये दिल हँस रही थी नज़र,
क्या पता आँख भर आई किस बात से।
इल्म और फ़न को अब पूछता कौन है ,
पूछे जाते यहाँ लोग औकात से।

