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यूँ ही एक मुलाकात...........

यूँ ही एक मुलाकात...........

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(पहली मुलाकात)

वही गली

वही लोग

वही समां था

पर ना जाने क्यूँ

इन आँखो की अनदेखी का मजा ही कुछ अलग था

तुम्हारी आँखे नीचे, तो मेरी आसमां को निहार रही थी

आखिर कुछ तो बात थी जो तुम्हारे मन में भी आ रही थी

पर मन का था किसको पता

तुम्हारी मुस्कुराहट ही सब बात ब्यान कर गई

बस यूँ ही, एक मुलाकात याद रह गई।।

(काफी सालों बाद, जब दोनो के प्यार को बीते हुए अर्सा हो चुका था)

आज फिर वही गली,

वही लोग

वही समां था

आज फिर तुमसे टकराने का कुछ इत्तफाक हुआ था

आज फिर तुम्हारी आँखे नीचे

पर मेरी तुमको गुस्से से निहार रही थी

आखिर बहुत - सी बाते थी जो मेरे मन में भी आ रही थी

पर जुबां तक आते - आते इन बातों ने कर ली थी तस्सली

कि शायद तेरी झुकी आँखो ने मेरी तकलीफ समझ ली होगी

आज फिर उस गली से, तुम मेरे नजदीक होकर गुज़र गई

और बस यूँ ही, एक और मुलाकात याद रह गई।।


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