युगों युगों से अपने
युगों युगों से अपने
युगों युगों से अपने पथ पर खड़ा कैसा है हिमालय!
डिगता कभी न ये अपने प्रण से रहता हमेशा अड़ा,
जो भी बाधाएँ आती है उन सबसे लड़ा है हिमालय!
इसलिए दुनिया में कहलाता है सबसे बड़ा हिमालय!
अगर न होता काम कुछ भी हर दम पड़ा हिमालय,
भारत का शीश चमकता न मुकुट सा जड़ा हिमालय!
खड़ा हिमालय सीखा रहा डरो ना तुम आंधी पानी से!
खड़े रहो तुम अपने पथ पर डरो कभी नहीं तूफानों से,
अडिग रहो डिगो नहीं अपने प्रण से ज़रा सुनो प्यारे!
तुम भी ऊँचा हो सकते हो छू सकते हो नभ के तारे!
अडिग रहा जो अपने पथ पर लाख मुसीबत आने में,
मिलेगी सफलता उसको हार्दिक जीने में मर जाने में!