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Dr Sushil Sharma

Inspirational

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Dr Sushil Sharma

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योग

योग

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चित्त वृतियों पर नियंत्रण योग है।

जीव का परमात्मा से मंत्रण योग है।


यम नियम संयम से तुम मन संवारो।

शुद्ध बुद्धि प्रेम से तुम सबको पुकारो।


यम नियम आसन लगा कर बैठिए।

प्राण को प्रत्यहार से समेटिये।


ध्यान जब समाधि पर विमुक्त हो।

देह सब व्याधियों से तब मुक्त हो।


इदम अहम परम से मन संयुक्त है।

 द्वेष तृष्णा धारित भावों से युक्त है।


अंतःकरण की शुचिता का अभ्यास हो।

सद्भावना समता और विश्वास हो।


कर्म ज्ञान और भक्ति का संयोग हो।

देह मन और हृदय का योग हो।


देह के भीतर का जादू तुम जगाओ।

देह और मन को एक कर मुक्ति पाओ।


पर्यावरण का संतुलन ही योग है।

मानव प्रकृति तादाम्य ही सुयोग है।


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