भारत भूमि
भारत भूमि
राम, कृष्ण जहां बुध भी जन्मे, वो मेरी है मातृभूमि
भीम, सुभाष और भगत की पूजा, जवाहर, गाँधी की कर्म भूमि||
अहिंसा, प्रेम का धर्म बताती, कण-कण जिसके सेवा भरी
पवित्र भूमि है वो कहलाती, देवी, साधू-संतों संग अवतार धरी||
खलबली मचती शत्रु दल में, जब वीरों ने इसके हुंकार भरी
आकाश, पाताल से ढूंढ निकाले, गलत नियत है जिसकी पड़ी||
अतिथि बनकर आए देश में, देवों जैसी सेवा मिली
शीश कटा सकते है लेकिन, मेहमानवाजी में न होगी कमी||
शत्रु बनकर आए कभी तो, धड़ से गर्दन साफ मिली
दाहसंस्कार को तरसे आत्मा, काल को देते उसकी बलि||