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Kavi Martand

Inspirational

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Kavi Martand

Inspirational

हिन्दी को नमन

हिन्दी को नमन

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हिन्दी को नमन, हिन्दी को नमन।

भारत माँ की बिन्दी को नमन। 

हिन्दी को .............................


अब दूर करो अ ब स द,

लाओ घर घर क ख ग घ।

इसमें न रहे कोई आशंका,

हिन्दी का बजाना है डंका।


हिन्दी को प्रसारित करने को

कर दो न्योछावर तन-मन-धन

हिन्दी को .............................


कंठों से निकलकर ओठों तक

यह क से म तक आती है।

स्वर-व्यंजन के पुष्पों से सज-

धज वर्णमाल बन जाती है।


अ से ह तक बन हमजोली

देती है मधुमय आमंत्रण।

हिन्दी को .....................


यह भाषा कितनी सहज सरल

संस्कृत से निकलकर आई है।

अपनी अनेक बहनों को ले 

यह सबके मन को भायी है। 


उत्तर-दक्षिण, पूरव-पश्चिम

इसका ही गुण गाते जन-मन।

हिन्दी को .............................


मीरा कबीर सूरा तुलसी

सबकी रचनाएँ हिन्दी में।

रसखान जायसी खुसरो की 

मधुरिम कविताएं हिन्दी में।


दोहे रहीम के हिन्दी में

भूषण हिन्दी के आभूषण।

हिन्दी को ....................


जयशंकर महादेवी माखन

मैथिली शरण दिनकर बच्चन।

श्री पंत निराला नागार्जुन

महकाते हिन्दी का आँगन।


ये हिन्दी को मोती माणिक

ये हिन्दी के अनमोल रतन।

हिन्दी को .........................


हिन्दी की जय भारत की जय

हिन्दी का पतन, भारत का पतन।

हिन्दी जितनी उन्नत होगी

उतना उन्नत, होगा ये वतन।



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