STORYMIRROR

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Inspirational

3  

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Inspirational

यह चलन कैसा

यह चलन कैसा

1 min
246


जज़बात नहीं तो जुनून कैसा?

रात नहीं तो यार सुकून कैसा??

यह अजीब ही है

यह चलन कैसा?

तू मुझे भूल जा,

या मैं तुझे भुला दूं,

प्यार में ऐसा नहीं होता है,

इश्क़ होता है दगाबाज़,

यह तू समझ ले,

प्यार विश्वास होता है।


वह क्यों नहीं हुआ,

तेरी जिंदगी का तलबदार,

बहुतों का तबीब बना,

न कभी किया एतबार।

ऐ दिल तूने तो इस जिंदगी को जीना सिखाया है,

फिर क्यों तेरी जुबां पर रुखसत का नाम आया है।

हो सके तो समझाने की कोशिश में तू यार

मुझे गुमराह न कर,

हो सके तो हमें समझ और मेरे हालात पर

एतबार कर॥



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational