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Yashvi bali

Inspirational

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Yashvi bali

Inspirational

ये उड़ान …. ठिकाना ज़मीं..

ये उड़ान …. ठिकाना ज़मीं..

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ये उड़ान …

बड़ी ऊँची उड़ान है 

कल क्या होगा …सोच 

आने वाले हर पल का क्या होगा …


आज तो मैं खुश हूँ ….

सब पाया मैंने जो भी चाहा था …

चल रही है ख़ुशनुमा ज़िंदगी ..

ना रुकने का वादा था …,

चलते चले जाना है …


वो वादा मेरा पूरा हो रहा है ..

मैं आज जो भी हूँ …. 

ये मेरे किए कर्मों का फल है 

क्यूँ ना सुकून से रहूँ मैं ..


ये सोच के जब … मैं इतराया था 

गिनती करना शायद भूल गया था 

उन सब लेखों की …..

जो लिखे थे उसने मेरे लिये ..

कुछ काम सौंपे थे मुझे 

वो कर्म सब मुझे ही पूरे करने थे 


ऊँची उड़ान जब मैंने भरी 

खूबसूरत असमान का आँचल फैला देख के …

भूल गई मैं यशवी …

.इस उड़ान को भरने का दम …

कुछ मेरी मेहनत थी .. कुछ मेरे अपनों का सरमाया था 

यूँ ही वो ऊपर बैठा मेहरबान नहीं था 

उसका साथ …. और अपनो के हाथों की 

प्रेरणा , उत्साह की मधुर छ्त्रछाया थी 


बस यही सोच …..ना भुलाना कभी 

उड़ान भले मोहक है ….

पर टिकने के लिए पाँवो को 

फिर लेना ज़मीन का सहारा है 


बस यही सोच कर ….. मैं यशवी …..

सोच का …,साथ नहीं छोड़ा है …


की कितना भी ऊँचा उड़ लूँ मैं…

पैर तो ज़मीन पे ही टिकाने है …

तो कर्म जो करना हैं उन के फल 

को अगर हमे पाना है …


भरो कितनी भी ऊँची उड़ान ..

ज़मीन पे ही हमारा ठिकाना है …

ये ज़मीं ही हमारा ठिकाना है।


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