ये रंगों सा इश्क़
ये रंगों सा इश्क़
ये रंगों सा इश्क़ तेरा रंगीन मिज़ाज लगता है
कभी इश्क़ तेरा लाल गुलाब सा कभी गुलाबी लगता है।
छू जाता है तेरा एहसास मुझे बिना छुए ही
दिल पर तेरे इश्क़ का रंग तभी बड़ा गहरा लगता है।
महसूस करती हूँ मैं तेरे जज्बातों को अपने सीने में
तभी तेरे प्यार का रंग सभी रंगों से मिला लगता है।
चढ़ रहा है तेरा इश्क़ का असर मेरे तन बदन पर
आईने में देखती हूँ तो तेरे प्यार का रंग इश्किया लगता है
रंग जाना चाहती हूँ पूरी तरह से तेरे प्यार के रंगों में
इश्क़ की रंगत में रंग कर दिल भी तेरे जैसा रंगीला लगता है।

