रूबरू वो होते तो
रूबरू वो होते तो
रूबरू वो होते तो
हाल-ए-दिल सुनाए जाते
उनसे दूर रहकर
बीती कैसी ये बिरहा की रातें
अश्कों का समुंदर बहाकर
उन्हें बताएं जाते।
तड़पा कैसे ये दिल
बैचेनी इस दिल की उनके बिन
सुलग ये जख्मों की दिखाकर
हम यूँ ही मुस्कुराए जाते।
सुने इस जहाँ में
वीरान आसमाँ में
गुमसुम चाँदनीयों में
तन्हा इक चाँद के साथ
प्यारा-सा एक घरौंदा
बसाए जाते।
रुबरु वो होते तो
हाल-ए-दिल सुनाए जाते।
