बस अभी आके मिल...
बस अभी आके मिल...
टपक रही हैं बूंदें ख्वाहिशों की
फिर भी हैं प्यासी प्यासी
चाहतें हैं इनसे बहुत हमें
पर चारों ओर हैं छायी उदासी।
बूंदें जो बुझा न सकी प्यास मेरी
भीग न पाए हम इस बारिश में
अश्कों की बूंदों में बह गए इस तरह
भीगे सिर्फ तेरी यादों के एहसास में।
तन भी सूखा, मन भी गीला न हुआ
प्यार की बौछार के लिए तरसा दिल
बिन बादल होनेवाली इस बरसात में
ख़्वाहिश हैं तेरी, बस अभी आके मिल।
.बस अभी आके मिल!!!

