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गीता केदारे

Romance

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गीता केदारे

Romance

बस अभी आके मिल...

बस अभी आके मिल...

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टपक रही हैं बूंदें ख्वाहिशों की

फिर भी हैं प्यासी प्यासी

चाहतें हैं इनसे बहुत हमें 

पर चारों ओर हैं छायी उदासी। 


बूंदें जो बुझा न सकी प्यास मेरी 

भीग न पाए हम इस बारिश में 

अश्कों की बूंदों में बह गए इस तरह 

भीगे सिर्फ तेरी यादों के एहसास में। 


तन भी सूखा, मन भी गीला न हुआ 

प्यार की बौछार के लिए तरसा दिल 

बिन बादल होनेवाली इस बरसात में 

ख़्वाहिश हैं तेरी, बस अभी आके मिल। 

.बस अभी आके मिल!!! 



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