ये जीवन
ये जीवन
ये हो क्या रहा है
किस पर करें यकीन
किस पर हो सजदा
ये हो क्या रहा है
कहने को हम जी रहे, 21वी सदी
सब कुछ मिला यहां, नूतन यही
जो रहा है असंभव, संभव यही
विश्व विधाता बन रहे, विश्व गुरु ही
ज्ञान को फैला रहे, हम सनातन धर्मी
नहीं बड़ा रहा कोई हम से
हम अगिनतधारी, प्रचंडकारिका भेष हम ही
ये हो क्या रहा है
कहने को हम जी रहे 21वी सदी
बखान हम अपना कर रहे
जैसे सृष्टि निर्माता हम ही हैं
कहने को हम जी रहे, 21वी सदी
जबसे बहरूपिया आ गया
संसार उसी का हो गया
सच्चाई का खात्मा
कुवचन फैला ही गया
ओ कलिकाल के राक्षसों
अब यहीं से, है शुरु
तुमने न छोड़ा, अपनों को भी
दुष्कर्म मानवता अब गुरु
न छोड़ा सगे न संबंधी
यही कामुकता है शुरू शुरू
बड़े ही ढोंग करते हो
वही फिर दुष्कर्म करते हो
ये हो क्या रहा है
किस पर करें यकीन
किस पर हो सजदा
ये हो क्या रहा है
कहने को हम जी रहे 21वीं सदी।