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Ranjeeta Govekar

Abstract

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Ranjeeta Govekar

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यादों से भरी

यादों से भरी

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खट्टी मिठी याँदोसे से भरी

प्यारे प्यारे वादों से भरी

माँ के दुलार से तो कभी

पापा के डाट से भरी

मेरी ये रिश्तों की पोटली।


संभाली है इसको

कमाई भी है इसको

जोड जोड के एक एक धागा

प्यार से बुनाई भी है इसको

मेरी ये रिश्तों की पोटली।


जोड़ी है जिसमें दोस्तों की दोस्ती

कुछ अनकहे, अनसुलझे, अनचाहे रिश्ते

जड़े हैं इसमें कुछ अनमोल से रिश्ते

कुछ खून के कुछ मोहब्बत के रिश्ते


सुख दुख में साथ रहती

मुसीबत में हाथ देती

अकेलेपन में महफिल सजाती

मेरी ये रिश्तों की पोटली।


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