यादों को सहेज लूं
यादों को सहेज लूं


उन तस्वीरों को कैद कर लूं दिल के कैमरे में,
उन यादों को ज़रा सहेज लूं मन के कमरे में।
दौर-ए-मसरूफ़ियत में छूट न जाए जज़्बात,
उन लम्हों को बंद कर लूं वक़्त के पिंजरे में।
सफ़र-ए-ज़ीस्त में मिली है चंद खुशियां 'ज़ोया',
भूल न जाना उन ख़ुशियों को ग़म के अँधेरे में।