दौर-ए-मसरूफ़ियत में छूट न जाए जज़्बात, उन लम्हों को बंद कर लूं वक़्त के पिंजरे में। दौर-ए-मसरूफ़ियत में छूट न जाए जज़्बात, उन लम्हों को बंद कर लूं वक़्त के पिं...
कहीं जिंदगी है मेरी, तन्हा.... नहीं मगर, उलफते दौर से गुज़र रहा हूं मैं. कहीं जिंदगी है मेरी, तन्हा.... नहीं मगर, उलफते दौर से गुज़र रहा हूं मैं.