Anuj Pareek
Classics
ये बारिशें भी
तर कर जाती है
भीतर तक
पर सूखापन
आज भी
बहुत है।
प्रेम की सार्...
अमीर घर की औल...
सबसे खतरनाक ह...
थामना चाहता ह...
समझ क्यों नही...
इंसान
Kuch Tum Kaho...
यादों की गिरफ़...
मिला ही नहीं
खुशियों का सौ...
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से. श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित श्री कृष्ण की प्रत्येक पत्नी से.
ऊँचे ऊँचे लोगो में मैं ठहरा छोटी जात का खुद से ही अंजान मैं ना घर का ना घाट का! ऊँचे ऊँचे लोगो में मैं ठहरा छोटी जात का खुद से ही अंजान मैं ना घर का ना घाट...
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रणाम करने के श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित कृष्ण बलराम एक दिन गए थे प्रातक़ालीन प्रण...
हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार हाथ बढ़े तो देश की खातिर कंठ से हो बस जय जयकार
पाँच भूतों से विराट शरीर, ब्रह्माण्ड का निर्माण करते वे. पाँच भूतों से विराट शरीर, ब्रह्माण्ड का निर्माण करते वे.
मंद बुद्धि मैं एक पशु हूँ फंसा हुआ विषयभोगों में । मंद बुद्धि मैं एक पशु हूँ फंसा हुआ विषयभोगों में ।
श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथा सम्मान । श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथ...
जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी. जरासन्ध की सेना ने वहाँ वाणों की वर्षा कर दी थी.
परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए। परीक्षित, भगवान की आज्ञा मानकर अक्रूर हस्तिनापुर चले गए।
कुरुक्षेत्र में दिव्यदृष्टि से, झाँक-झाँक तत्काल । कुरुक्षेत्र में दिव्यदृष्टि से, झाँक-झाँक तत्काल ।
कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब । कृष्ण पत्नियाँ उनके बिछोह की आशंका में व्याकुल हो जातीं सब ।
किस साधन से प्राप्त कर सकता बिना विशेष परिश्रम के, इस पद को। किस साधन से प्राप्त कर सकता बिना विशेष परिश्रम के, इस पद को।
वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में। वही द्रोण नन्द हुए और धरा जन्मीं यशोदा के रूप में।
लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने। लोकमर्यादा की रक्षा के लिए वहीं पर यज्ञ किया था उन्होंने।
कैसे एक साधारण इंसान देवता समान ही श्रेष्ठ हो सकता है। कैसे एक साधारण इंसान देवता समान ही श्रेष्ठ हो सकता है।
काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत। काँप रही थी पृथ्वी, स्वर्ग भी था भयभीत। महिषासुर ने लिया, तीनों लोकों को जीत।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित सुनकर जरासंध के वध को।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भगवान ने तब संकल्प कर लिया।
शीश झुकाऊँ गुरु चरण में, आज यहाँ गुरु की महिमा कहता हूँ। शीश झुकाऊँ गुरु चरण में, आज यहाँ गुरु की महिमा कहता हूँ।
रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥ रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥