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dr vandna Sharma

Romance

4.9  

dr vandna Sharma

Romance

यादों की बारिश में

यादों की बारिश में

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बिछोह की गर्मी से 

तपते हुए मन को 

मिल जाए मिलन की छाया 

उड़ता हुआ एक बादल  

कहीं दूर से मेरे नगर आया 

प्रिय तुम्हारी यादों की बारिश में 

दिन -रात नयन बरस रहे 

जबसे संदेशा तुमने 

शीघ्र मिलन का भिजवाया 

मन आतुर है दर्शन को 

अंखियां लगी पथ निहारने 

कैसा प्रेम -बादल है दिल पर छाया 

तन दहकने लगा बारिश की बूंदों से 

यादों के बादल गरजने लगे हैं 

कब आओगे प्रियतम 

नयन मेरे झर -झर बरसने लगे हैं 

कहीं कोयल कूक रही हैं 

नाच रहे है मोर डाली -डाली 

पहली बारिश से झूम उठी माटी 

सोंधी सोंधी खुशबू, फैली हरियाली 

ऐसी मधुर बेला में प्रिय तुम्हारा आगमन 

हृदय प्रफुल्लित मुस्काया 

शब्द मौन है, आँखे बोल रही 

आकर तुम्हारी बाँहों में 

तन -मन मेरा इतराया 


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