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Shaveta M

Abstract

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Shaveta M

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यादें..

यादें..

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कुछ तो शायद खता है मौसम की,

कुछ शायद असर तेरी यादों का है,

आज फिर थोड़ा नम सी हैं आँखें,

फिर शिकवा अधूरी हसरतों का है


चाहत आज भी कि हाथ थामे तेरा,

लेकिन फिर गिला उन्हीं लकीरों का है

कुछ तो शायद खता है मौसम की,

कुछ शायद असर तेरी यादों का है



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