यादें
यादें
किधर जाने गये वो दिन पुराने याद आते हैं।
किये कितने कहाँ कैसे बहाने याद आते हैं।।
जमीं है धूल सी पर याद अब भी है मधुर मन में।
डपटने, डाँट खाने के जमाने याद आते हैं।।
हरी इमली कभी जो तोड़ कर लाते भरी झोली।
लगाते फेंक कर पत्थर निशाने याद आते हैं।।
खिलाती बाजरे,मक्का व मिस्सी रोटियाँ मोटी।
मुझे माँ के पुए मीठे बनाने याद आते हैं।।
कभी काँधे चढ़ा मेला दिखाया था पिताजी ने।
उन्हीं की छाँव के वे दिन सुहाने याद आते हैं।।
पड़ीं बिखरी मधुर यादें चसकती हैं बड़ी दिल में।
बता जिनको नहीं सकते फ़साने याद आते हैं।।
कभी यारी कभी थी दुश्मनी पर दिल न मैले थे।
सभी मिल यार गाते थे तराने याद आते हैं।।