"यादें"
"यादें"
कहां खो गई,
बचपन की चपलता।
कहां गया?
कै शौर्य का अल्हड़पन।
युवा का शौर्य,
जीवन कितना मजेदार था।
याद करके देखो।
हंसते थे खूब खुलकर,
रोते थे जी भर कर।
कुछ सच्चे, कड़वे अनुभव थे,
याद कर के देखो।
जीवन एक पहेली हैं,
हर रात अलबेली है।
पुरानी हवेली है,
सुलझा करके देखो।।