यादें ज़िन्दगी
यादें ज़िन्दगी
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जो आधा-अधूरा कह दूं तो,
मेरी ख़ामोशी सुन लेना।
वो जो साथ कभी यूँ देखे थे,
उन ख़्वाबों को भी बुन लेना।।
जो साथ चल न पाऊँ तो,
अपनी परछाई समझ लेना।
अश्कों में न हमको बहने देना,
अपनी पलकों में छुपा लेना।।
वो जो वादे थे साथ निभाने के,
गर याद तुम्हें कभी आये तो...
उदास न होना, उफ़ न करना,
एक भुला बिसरा किस्सा समझना और मुस्कुरा देना।।