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Shalini Pandey

Romance

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Shalini Pandey

Romance

याद

याद

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ना जाने वो कौन सा मोड़ था

जो तुम मुझे बेहिसाब याद रह गए

ज़हन के एक कोने में 

इत्मिनान से तुमने एक घर बना लिया

कभी मैं तुमसे ख़ुद मिलने चली आया करती थी, 

तो कभी तुम्हारी याद बुला लाती थी ।


ना तारीख़, ना मौसम, ना दिन , ना रात

ऐसा मुझे कुछ भी याद नहीं

पर मेरी तनहाइयों को बाँटने तुम

अक्सर ख़ुद ही चले आते थे

पूरा नहीं थोड़ा ही सही

बिलकुल तुम्हारे शब्दों की तरह।


तुम्हें पाने की

ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है ,

तुम्हें, तुम्हारे शब्दों को

‘शालीन’ हो के जी सकूँ ,

ऐसा ऐतबार ज़रूर किया है ।


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