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दीप Sharma

Tragedy

4  

दीप Sharma

Tragedy

याद है सब याद है

याद है सब याद है

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याद है सब याद है...

बात बात पर वो तेरा समझाना 

खुद को समझदार और मुझ को नासमझ कहना


बिना कोई वजह बताए फोन ऑफ कर देना

मुझे फर्क नहीं पड़ता 

हर बार खुद को मजबूत कहना


याद है सब याद है...

मेरी तरक्की के खातिर खुद को हर्ट करना

मैं कमजोर ना पड़ जाऊं 

वो तेरा मुझसे दूरी इख्तियार करना 

अंदर से कमजोर होते हुए और बाहर से मजबूत दिखाना


याद है सब याद है ...

गैरों से हंस के बातें करना

मुझसे बात बात पर शर्माना

और जब मैं बोलूं कि शर्मा से क्या शर्माना है 

तेरा हर बार कहना

 शर्मा से ही तो शर्माना है


याद है सब यार...

तेरा हर बार कहना

सब लड़के एक जैसे होते हैं  

खुद अटैचमेंट हो जाए इस बात को लेकर बार-बार वो तेरा डरना


याद है सब याद है..

तेरा वो रोते हुए कहना

मैं अच्छी नहीं हूं  

मैं आपके काबिल नहीं हूं 

मुझसे अच्छी लड़की आपको मिल जायेगी 

इन लफ्जों बयां करके खुद को मुझसे जुदा करना


याद है सब याद है ..

तेरा वो औरों की खातिर अपनी खुशियों का गला घोटना

मेरा वो बार-बार कहना 

क्या मेरे अच्छे होने की यही सजा है

क्या मेरे पाक(बेदाग) इरादे का यही कुसूर है

क्या मेरी जिंदगी में मुंतज़िर होना ही लिखा है


याद है सब याद है... 

मेरी जिंदगी की खुशियों का चंद लम्हों में चला जाना

मेरी जिंदगी में मेरी रूह का रुखसत हो जाना

क्यूं मेरी जिंदगी में छोटे-छोटे चीजों के लिए वर्षों से आरजू रखना

याद है सब याद है...याद है सब याद है

याद है सब याद है...याद है सब याद है

    


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