याद अपने रब को
याद अपने रब को
कभी सुख की भोर
कभी दुख का जोर
करता हूँ नमन
अपने ईश्वर को
हर रोज की मुश्किलें
दिन भर की थकान
याद करता हूँ
अपने रब को
कभी घबरा जाता
असमंजस से
कभी सिहर जाता
उलझन से
अपने परवरदिगार
के आगे
सजदा कर देता हूँ
कभी सोच में लगा
रहता हूं
कभी अपने आप में
खोया रहता हूं
मैं अपने ईश्वर को
हाथ जोड़ चला आता हूँ
कभी अपनों का संग
कभी परायों का रंग
अपने भगवान के आगे
अरदास कर देता हूँ
