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याचक

याचक

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जीवन क्या है मानस पट पे घुमड़ घुमड़ के आते बादल

कभी खुशी के ये उजले बादलकभी गम के ये काले बादल।


कभी भावों से होकर बोझिल आँखों से बरसते बादल।

प्रभु ने सुंदर आकाश दिया मानस पट पे प्रकाश किया।


अहम् स्याही से मानुस ने बंजारों का विकास किया।

ये बंजारे कभी प्रीत सिखाते अपरिचित को मीत बनाते।


कभी मीत बन जाता दुश्मन कभी दुश्मन को प्रीत सिखाते।

प्रभु भावों के रूप अनगिनत भावों के अनगिनत बादल।


इन भावों के पार प्रभु तू बाधा तेरे ही निर्मित बादल।

मेरी धरती पे देना ही है तो प्रभु ऐसे देना बादल।


मानवोचित भावों से वंचित और प्रभुप्रेम जो संचित।



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