वसुंधरा।
वसुंधरा।
यह वसुधा एक कुटुंब हमारा,
मिलजुल कर सबको रहना है।
अजब अनोखे इसके रंग,
हर कदम पर अलग है ढंग।
बदला भेष, भाषा बदले,
जीवनशैली अपने रंग बदले।
इस कुटुंब मे सब एक है,
लेकिन जिनके रंग अनेक है।
एक धरती पर कितने रूप,
जीवन के कितने स्वरूप।
एक दूसरे के बिना अधूरे,
मिलकर हो जाते है पूरे।
सबका दुख बन जाता हैं,
अपना दुख बिन कहे।
बिना किसी भेदभाव के,
हम सब मिलकर रहे।
हो जाए धरा स्वर्ग समान,
सार्थक हो वसुधैव कुटुम्बकम का नाम।