वर्णमाला पर कविता।
वर्णमाला पर कविता।
(अगर ) चाहत है कुछ करने की।
(आवश्यक) है विद्यालय जाने की ।
(इतनी) सी बात अगर अभिभावक समझते ।
(ईमानदार) इंसान यहाँ बनते ।
( उत्तम) शिक्षा का मंदिर है विद्यालय।
( ऊँच)-नीच से परे है विद्यालय।
( एक) बार तो भेज करके तो देखो।
( ऐसी) अनोखी तालीम वहाँ सीखो।
( ओजपूर्ण ) विद्यार्थी है बन जाता।
( और) अज्ञानता को दूर भगाता।
( अंधकार) से प्रकाश में पहुँचता।
( अहा! ) यदि इतना सबको ज्ञान हो जाता।
( कहाँ) ऐसा इल्म है मिलता।
( चंचल) मन भी खूब है खिलता।
( टटोल कर) अपना अंतर्मन तो देखो।
( तालीम) के अनेकों सूत्रों को सीखो।
( पा) सकोगे तुम सब कुछ यहाँ पर।
( यहाँ) से पढ़कर बनते अफ़सर।
( रहती) सदा सभी को याद यहाँ की।
( लोग) कहते यह जगह है सभी की।
( वह) है बड़ा भाग्यशाली जो यहाँ है पढ़ता।
(शक्तिवान )मनुष्य वह यहाँ है बनता।
( सतसंगत) की राह पर चलता।
( हम )सब को भी अब यही है कहना।
( क्षमाशील) और( ज्ञानवान )ही बनना।