वृक्षों का उपकार
वृक्षों का उपकार
वृक्षों का मानव पर बड़ा ही उपकार है
प्रकृति ने हमें वृक्ष का दिया सुन्दर उपहार है
हमारी साँसों का वृक्ष पर ही आधार है
वृक्षों का भी धरती पर उतना ही अधिकार है
इसके बिना हमारा जीवन ही दुश्वार है
मत काटो इन्हें ऐ मानव! तुझ पर धिक्कार है
जानते हो फिर भी क्यों सब बेअसर है
क्या मानव ये सब तेरी समझ के बाहर है?
होगा ईश्वर नाराज़ क्या तुम्हें स्वीकार है?
मिलेगा इसका नतीजा क्या तू इससे बेखबर है?