"वृक्ष"
"वृक्ष"
विटप विना वीभत्स दशा थी।
त्राहि-त्राहि सब दशों दिशा थी।
आदिशक्ति भी तब अकुलाई।
जल-जंगल की सृष्टि रचाई।।
धन - दौलत - वैभव है पूरा।
वृक्ष विना जीवन है अधूरा।
जीव-जगत सब प्रभु की लीला।
सुरभित द्रुम से जग चमकीला।।
पीपल - आम सभी शुभकारी।
औषधि में हैं सब सुखकारी।
तुलसी - नीम सदा गुणकारी।
पादप, पूजन के अधिकारी।।
दूषित हवा पेड़ खुद लेते।
शुद्ध साँस हमको हैं देते।
गाछ सभी ये हैं उपकारी।
पेड़, प्राण के नित संचारी।।
पथ की पथिक थकान मिटाता।
द्रुमतल बैठ शांति सुख पाता।
पादप देते खुशबू सौंधी।
मानव क्यों तू प्रकृति विरोधी।।
आश्रित तरु पे भ्रमर - पतंगा।
कोकिल कूजन सुन मन - चंगा।
दृश्य देख होऊँ बलिहारी।
शाखी सच में अति हितकारी।।
आओ ! पर्यावरण बचायें।
रोज - रोज हम पेड़ लगायें।
निश्चित स्वर्णिम सुबह सवेरा।
हर प्राणी का विटप बसेरा।।