वो प्रेम है मेरी
वो प्रेम है मेरी
वह कौन हैं
जिसेे न देखनेे
के बाद भी
महसूूूस करता हूं
वो नजरों से दूर
होते हुए भी
नजर में
ठहरी रहती है
वो हमेशा
मेरे इर्द गिर्द
मौजूद रहती है
उसका होने के
अहसास मात्र से हीं
दिल खिल जाता है
अच्छा लगता है
हमेशा उसके
यादों में खोए रहना
सोचते रहना
वो जान है
वो पहचान है
वो अभिमान है
उसके बगैर जीने की
कल्पना हीं बेमानी है
वो सर्वस्व है मेरी
वो प्रेम है मेरी।

