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Kajal Manek

Abstract

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Kajal Manek

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वो लड़की

वो लड़की

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देखते देखते वो लड़की संज़ीदा हो गयी,

कभी जो चिड़िया की तरह थी चहकती,

कभी बाबुल के आंगन में महकती,

आज वो खामोश पिंजरे का परिंदा हो गयी,

देखते देखते वो लड़की संज़ीदा हो गयी!


कभी छोटी सी बात पर रुठ जाया करती,

खिलौनों से अपना मन बहलाया करती,

आज वो खुद में एक घरौंदा हो गयी,

देखते देखते वो लड़की संज़ीदा हो गयी!


कभी जो हँसती थी खुलकर,

बातें करती थी सबसे बैठकर,

आज वो खुद की खामोशी में ही ज़िंदा हो गयी,

देखते देखते वो लड़की संज़ीदा हो गयी।



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