वो जूही के खिले फूलो के जैसे मुस्कुराता है
वो जूही के खिले फूलो के जैसे मुस्कुराता है
भड़ी महफिल में बैठा वो कोई नगमा सुनाता है,
वो जिसपे जान देता है उसी को गुनगुनाता है,
उसे पूछो तो कहता है वो किस्से भूल जाता है ,
मगर,जो दिल पे बीती है वही किस्सा सुनाता है।
कोई पूछे मोहब्बत का तो वो अहसास कहता है,
वो उससे दूर है लेकिन वो दिल के पास कहता है,
मिला क्या उसपे जान देकर ज़रा इतना तो बतला दो,
वो खुद को कांच कहता है वो गिरता है बिखरता है।
सितारो की अदब दुनिया में जैसे चाँद रहता है,
मोहब्बत का हर एक किस्सा उसी के साथ रहता है,
वो लिखता है सुनाता है जो सबसे खूबसूरत है,
जो सब के दिल में रह्ता है वही वो पेश करता है।
वो जूही के खिले फूलो के जैसे मुस्कुराता है,
नज़र मेरी जो पर जाए तो वो नजरें चुराता है,
जो कोई बात कहनी हो मैं कैसे उससे बोलूंगी,
मैं जब भी पास जाती हूँ वो मुझसे दूर जाता है।