कोई तो
कोई तो
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मेरी ख्वाहिशें खफ़ा है मुझसे,
उम्मीदों से अब दम घुटता है,
कोई सुकून का पता दो,
इस जहाँ में वो कहाँ रहता है।
कोई रिश्ता नहीं है मेरा इनसे,
फ़िर भी उदास देखकर साथ हो लेते है,
फिलहाल तो आँसू ही बेहतर है,
आँखों से दूर होकर तकलीफ कम कर देते हैं।
मैं झूठी मुस्कुराहटे देकर थक गई हूं यार,
कोई पास बैठकर थोड़ी हिम्मत दे दो,
क्यूँ हार जाती हूँ हर बार किस्मत से,
कोई तो मेरी खुशियों की किमत दे दो।